चुनाव जीतने और सरकार बनाने के बाद उनकी पहली भारत यात्रा है. इस दौरे को भारत भी महत्व दे रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान ऐसा हो रहा है.
भारत दौरे पर आईं हसीना 'वर्ल्ड इकनोमिक फ़ोरम' की बैठक में शामिल हो रही हैं जिसमें 40 देश हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाक़ात शनिवार को होगी.
वैसे भारत ने बांग्लादेश को अपने मित्र देशों की श्रेणी में रखा हुआ है, लेकिन दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनको लेकर पेंच भी है. जैसे चीन द्वारा बांग्लादेश को पनडुब्बी की आपूर्ति के साथ-साथ बंदरगाह की स्थापना और दोनों देशों के बीच कंटीले तारों की फ़ेंसिंग लगाने के काम में तेज़ी.
यूं तो कूटनीतिक स्तर पर दोनों ही देशों ने कभी भी एक दूसरे से सम्बन्ध ख़राब होने की कभी बात नहीं की है और न ही ऐसे कई बयान दिए हैं मगर कुछ मुद्दों पर दोनों के बीच थोड़ी खींचातनी ज़रूर रही है.
हालांकि भारत ने हमेशा कहा है कि बांग्लादेश के साथ उसके रिश्ते अब तक सबसे ज़्यादा अच्छे हैं.
अपनी-अपनी चिंताओं पर भी बात करेंगे दोनों देश
यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर बांग्लादेश ने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया था.
इसी तरह बांग्लादेश ने 'ओआईसी' यानी 'ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन' में भारत को बतौर पर्यवेक्षक शामिल करने के लिए हमेशा समर्थन दिया है. इस संस्था में केवल मुस्लिम बहुल राष्ट्र ही शामिल होते हैं.
हाल ही में न्यूयॉर्क में संपन्न संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान अलग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शेख़ हसीना के बीच लंबी बातचीत भी हुई थी जिसमे कई मुद्दों पर पहले ही चर्चा हो चुकी है.
बांग्लादेश में भारत के उच्च आयुक्त रहे पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने बातचीत में कहा कि हसीना के दौरे के क्रम में दोनों ही देश अपनी चिंताओं पर भी बात करेंगे.
चक्रवर्ती कहते हैं कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच पहले ही काफ़ी कुछ तय हो चुका है. मसलन आतंकवाद से सख़्ती के साथ निपटने और बेहतर यातायात तंत्र का विकास.